जी-20 देशों के प्रतिनिधियों का दौरा, मोटे अनाज के प्रचलन और उत्पादन को लेकर मालवा,निमाड़ में ला सकता हे क्रांतिकारी परिवर्तन।
मांडू//रिपोर्टर-ऋषिराज जायसवालमांडू//जी-20 देशों के प्रतिनिधियों का इंदौर और मांडू का दौरा मोटे अनाज के प्रचलन और उत्पादन को लेकर मालवा, निमाड़ में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। क्षेत्र में घरों की थैलियों से गायब हुए मोटे अनाज के जी-20 के दौरे से दिन फिर सकते हैं। वन अर्थ वन फ्यूचर के नारे के साथ आगे बढ़ रहे जी-20 देश आने वाले दिनों में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय दोगुनी करने, पेस्टिसाइड के उपयोग रोकने के लिए पर्यावरण जलवायु हितेषी और बीमारियों से दूर रहने के लिए रामबाण माने जाने वाले मोटे अनाज को लेकर आपसी सामंजस्य से बड़ी मुहिम छेड़ने वाले हैं। धार जिले के साथ मालवा और निमाड़ क्षेत्र मैं मोटे अनाज की खेती को लेकर काफी संभावनाएं हैं। यहां आने वाले जी-20 के अतिथियों को मोटे अनाज से बने व्यंजन भी परोसे जाएंगे। इनसे बने कई पकवान बनाने की तैयारियां मांडू में चल रही है। मोटे अनाज की बात की जाए तो मालवा निमाड़ में अच्छी पैदावार होती है। वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन में भारत की 20 प्रतिशत और जी-20 देशों में 43 प्रतिशत की भागीदारी है। जी-20 दौरे के दौरान मांडू में भी प्रतिनिधि स्थानीय अधिकारियों से वार्तालाप कर इस दिशा में संभावनाओं को तलाश कर कोशिश करेंगे।
कम लागत में अधिक फायदा,यह हैं मोटा अनाज :-
इस विषय में वरिष्ठ कृषि अधिकारी अमरजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि मोटे अनाज के अंतर्गत ज्वार,बाजरा,रागी, कंगनी,कुटकी,कौदो, सावा जैसे मोटे अनाज शामिल है। इसकी खेती कम वर्षा की स्थिति में भी हो सकती है। इसका बीज सप्ताह होता है कम लागत लगाकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसमें खाद और कीटनाशक का प्रयोग नहीं होता इसलिए यह पद्धति शक्ति और स्वास्थ्यवर्धक भी है। हालांकि मालवा निमाड़ क्षेत्र में ज्वार को छोड़कर अन्य मोटे अनाज की पैदावार लुप्त प्रायः सी हो गई है। परंतु सरकार इस दिशा में ध्यान दे रही है। जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
मोटे अनाज में होते हैं सभी पोषक तत्व, बीमारियों से लड़ने में रामबाण :-
इस विषय में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. चमन दीप अरोरा ने बताया कि जी 20 देशों में भारत द्वारा छोड़ा गया यह महाअभियान वाकई में परिवर्तनकारी साबित होगा। मोटे अनाज में सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें जिंक, आयरन,कैल्शियम, प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी,फाइबर,वसा के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह कैंसर,ह्रदय रोग,गठिया, एनीमिया,मधुमेह जैसे रोगों से लड़ने के लिए रामबाण साबित हो सकता है। आयुर्वेद में भी इसके उपयोग होते हैं। मोटे अनाज को आंगनवाड़ियों में भी आहार के रूप में शामिल किया गया है। कुपोषण के खिलाफ भी सहायक है।
संभावनाओं से भरा हुआ है मालवा, निमाड़ :-
मोटे अनाज की पैदावार और उत्पादन बढ़ाने के लिए मालवा और निर्माण क्षेत्र में बेहद संभावनाएं हैं। यदि शासन स्तर पर प्रयास किए जाए तो मालवा और निमाड़ क्षेत्र में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। इस विषय में इतिहासकार विनायक साकले ने बताया कि सिंधु घाटी सभ्यता के दोर से ही भारत में मोटे अनाज के चलन की प्रथा रही है इसके कई प्रमाण ग्रंथों में है। मालवा निमाड़ क्षेत्र कृषि प्रधान रहा है। कई ग्रंथों में मोटे अनाज की पैदावार को लेकर आज भी प्रमाण उपलब्ध है।