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कनेक्टिविटी फेल होने से हो रही दिक्कतें,सेवाओं में खामी से कनेक्शन लेने वालों की संख्या हुई नगण्य। बीएसएनएल की लचर व्यवस्थाओं से,उपभोक्ता हो रहे परेशान,विभागीय अधिकारीयो द्वारा दिया जा रहा रटाया जबाब।

धामनोद // रिपोर्टर- मुकेश सोडाणी

धामनोद // भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मी, सरकार की मंशा पर पानी फेरने के लिए आमादा है। लोगों को देश-दुनिया की जानकारी से जोड़ने वाली मोबाइल सेवा, आए दिन व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। कभी ओएफसी कटने तो कभी कनेक्टिविटी फेल होने से दिक्कतें हो रही है। शुक्रवार को घंटो कनेक्टिविटी न मिलने से लोग जूझते रहें। ऐसे काम काज के साथ पैसा व समय दोनों बर्बाद होता रहा। वैसे यह सब विभाग के लिए नया नहीं है यह आए दिन की आम समस्या है।

बीएसएनएल की भारी भरकम फौज के बाद भी,सेवाएं नदारद है। सेवाओं में खामी से तमाम लोगों ने लैंडलाइन कनेक्शन कटवा दिया। नए कनेक्शन लेने वालों की संख्या नगण्य हो गई है। शुरुआती दौर में नगर में सबसे पहले बीएसएनएल का नेटवर्क आया था। सिम लेने के लिए लोग फंसे और उपभोक्ता बने, लेकिन अब पछता रहे है।

उपभोक्ताओ भगवान मूंदड़ा,महेश सोडानी का कहना है कि,सेवा अच्छी नही है। अक्सर नेटवर्क फेल रहता है। कई बार पूरे दिन जूझने के बावजूद भी कनेक्टिविटी नहीं मिलती तथा आये दिन नेटवर्क फेल रहता है। सेवा के बदले में दिया जाने वाला शुल्क पानी में चला जा रहा है। सेवा बाधित होने पर विभागीय अधिकारी रटा रटाया जबाब देते हैं की, अभी ठीक हो जाएगी।ऐसे में लोग अन्य कंपनी का दूसरा सिम लेकर अपने नंबर परिचितों को दे रहे हैं लेकिन जवाबदारो के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। परिस्थिति यह बन गई कि अब बीएसएनएल से उपभोक्ता तौबा करने लगे है।
बीएसएनएल की सेवाएं यदि इसी प्रकार जारी रही तो निश्चित रूप से एक दिन बीएसएनएल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। शुक्रवार के दिन सुबह से बीएसएनएल के सिग्नल अचानक गायब हो गए जो रात्रि करीब 9:00 बजे तक लौटे। ऐसे में व्यापारिक क्षेत्र माने जाने वाला गढ़ धामनोद जिसमें अधिकतम व्यापारियों के पास आज भी बीएसएनल की सिम है परेशान नजर आये। परेशान उपभोक्ता बीएसएनएल कार्यालय चक्कर काटते रहे, लेकिन वहां से भी कोई संतुष्टि पूर्वक जवाब देने वाला मौजूद नहीं था। आखिरकार कई उपभोक्ताओं ने अब त्रस्त होकर सिम पोर्ट कराने की ठान ली। इधर धार मुख्यालय पर बैठे बीएसएनल के जिम्मेदार अधिकारियों को उपभोक्ता फोन लगाते रहे,लेकिन वह उपभोक्ताओं का फोन उठाने के बजाय काटते रहे।

 

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