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गुजरी में हुआ,परंपरागत भगोरिया मेले का आगाज……..

मांदल की थाप और बांसुरी की सुरीली तान के साथ परंपरागत वेशभूषा पहने भगोरिया नर्तक दल, विभिन्न आदिवासी विधाओं में नृत्य की देंगे शानदार प्रस्तुति।

सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स रहेगा उपलब्ध, सीसीटीवी कैमरे से रखी जाएगी नजर।

गुजरी//रिपोर्टर-रोहित शर्मागुजरी//आनंद के गीत और परंपरा के संगीत से सजे भगोरिया हाट का उल्लास 1 मार्च से शुरू हो गया हैं। 1 से 7 मार्च तक ग्रामो में लगने वाले हाठ बाजारों में भगोरिया मेला लगेगा। इनमें हजारों की संख्या में लोग उमड़ेंगे । गुजरी में भगोरिया मेला भराएगां। भगोरिया में अद्भुत और बेहद प्राचीन आदिवासी संस्कृति के विविध रूप देखने को मिलते हैं। आदिवासी समाजजन पारिवारिक वेशभूषा में लोक उत्सव में शामिल होते हैं। मांदल की थाप और बांसुरी की सुरीली तान आयोजन में चार चांद लगा देती है । समूह में नाचते हुए जब डोलिया निकलती हैं तो हर कोई झुमने लगता है। मेले में झूले,चकरी और खिलौनों बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते है। भगोरिया में दुकानदारों को अच्छे कारोबार की आस रहती है। ‌इसके लिए कारोबारी पहले से ही तैयारी कर लेते हैं। भगोरिया के मद्देनजर,वस्त्र के सौंदर्य ओर जूते,चप्पल आदि की खरीदारी जमकर होती है। गुजरी में आसपास करीब 10 से 12 गांव के लोग करीब 30 से 40 मादंल लेकर पहुंचेंगे। पंचायत ने लगने वाले भगोरिया मेले को लेकर पूरी तरह तैयारी कर ली है। भगोरिया मेला लगने वाले स्थान को पंचायत नें पूरी दुल्हन की तरह सजा दिया है। आदर्श भगोरिया के रूप में तैयारी की जा रही है। पंचायत द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में डीजे लगाकर प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। भगोरिया एक सांस्कृतिक पर्व है। होली के एक सप्ताह पहले नियमित लगने वाले हाट-बाजार भगोरिया में बदल जाते हैं। छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक इसमें अनिवार्य रूप से सहभागिता करते हैं। मेले में झूले-चकरी से लेकर खाद्यान्न सामग्री का खूब मजा लेते हुए उत्सव मनाया जाता है। साथ ही वाद्य यंत्रों की लय जनजातीय समाज की अलग-अलग टोलियां लोकगीत व लोक नृत्य भी करने लगती हैं। कुल मिलाकर भगोरिया का सीधा अर्थ है जीवन उत्सव को शत-प्रतिशत एक ही पल में जी लेना।
खास बात यह है कि चाहे लाख गम हो, लेकिन हर चेहरे पर उल्लास के सिवाए कुछ नहीं होता। सभी अपने हिसाब से मेले का भरपूर आनंद लेते हैं। सुबह से मेले में आने के लिए ग्रामीण तैयार होने लगते हैं। नए परिधान पहने जाते हैं। कई युवक और युवतियां तो अपने लिए ड्रेस कोड ही तय कर लेते हैं। चांदी के गहने हैसियत के अनुसार धारण किए जाते हैं। सुबह 10 बजे से मेला शुरू होता हैं,जो शाम पांच बजे तक चलते रहता हैं। हर मेले में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है।सीसीटीवी कैमरे से रहेगी नजर :- भगोरिया मेले को लेकर प्रशासन अलर्ट है। पंचायत एवं पुलिस विभाग ने लगने वाले भगोरिया मेले को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स उपलब्ध रहेगा।सीसीटीवी कैमरे लगाकर पूरे भगोरिया मेले पर प्रशासन निगरानी रखेगा । भगोरिया मेले में जेब कतरे एवं मोबाइल चोर पुलिस के सामने एक चुनौती रहेगी।

7-8 मंच लगेंगे,करेंगे मांदलों का स्वागत :-
भगोरिया मेले में दिसंबर अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी रंग भी देखने में नजर आएगा । मेले में भाजपा,कांग्रेस सहित आदि संगठनों के भी मंच लग रहे हैं। भगोरिया में आने वाली मांदलों का मंचों से स्वागत किया जाएगा।

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