संकल्प में बहुत बड़ी शक्ति होती है इससे अनेक धर्म प्रभावना के मनोरथ सिद्ध होते है-आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी
अतिशय क्षेत्र में साधु की समाधि होने से यह क्षेत्र अब निर्वाण भूमि बन गया है-आचार्य डॉ प्रणाम सागर जी
नालछा// रिपोर्टर ऋषिराज जायसवाल
नालछा// 20 वी सदी के प्रारम्भ में मुनि धर्म लुप्त प्रायः हो रहा था ऐसे समय प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांति सागर जी ने दृढ़ संकल्प के साथ आगम अनुसार मुनि धर्म को सम्बल दिया ।आज जितने भी मुनि साधु दिख रहे है यह आचार्य श्री शांति सागर जी की देन है ।यह प्रभावशाली प्रेरक उदबोधन जैन तीर्थ छोटा महावीर कागदीपुरा जैन मंदिर में व्यक्त किए। अतियश कारी क्षेत्र में सुखद कड़ी जुड़ी, जब आचार्य श्री पुष्प दंत सागर जी के शिष्य आचार्य श्री डॉ प्रणाम सागर जी वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के दर्शन एवं चरण वंदना हेतु पधारे।
पंचामृत द्रव्यों से चरण प्रक्षालन किया-
आचार्य डॉ प्रणाम सागर जी ने भक्ति पूर्वक वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की परिक्रमा लगाकर वंदना नमोस्तु किया। फिर डॉ प्रणाम सागर जी ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के पंचामृत द्रव्यों से चरण प्रक्षालन किया। डॉ प्रणाम सागर जी ने हस्तलिपि भक्तामर स्त्रोत ध्वज आचार्य श्री को भेंट किया।
48 हजार ध्वज पर श्री भक्तामर महास्त्रोत ध्वज लिखवाए-
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने डॉ प्रणाम सागर जी को आशीर्वाद देकर सभा मे बताया कि,आचार्य श्री प्रणाम सागर जी 48 हजार ध्वज पर श्री भक्तामर महास्त्रोत ध्वज लिखवा कर यह संकल्पित किया है। भारत की संसद में इसका अवलोकन हो इनका संकल्प सराहनीय है इससे जैन धर्म की प्रभावना भारत ही नही विश्व मे होगी।
जहाँ सरलता होती है वहाँ समर्पण होता है-
इसके पूर्व दोनो आचार्य संघ के मिलन को देखने हेतु काफी श्रद्धालु उपस्तिथ थे। दो दिगंबर जैन मुनियों का मिलन देख भावुक हुए श्रद्धालु । विनय छाबड़ा आशीष जैन एवं अजित जैन ने बताया कि, आचार्य डॉ प्रणाम सागर जी ने प्रवचन में बताया कि आज ऐसा महसूस हो रहा है कि आज महावीर जी मे आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी, श्री महावीर के रूप में उपस्तिथ है। आप सरलता की मूर्ति है जहाँ सरलता होती है वहाँ समर्पण होता है आप आचार्य श्री शांति सागर जी की परम्परा के पंचम पट्टाधीश है आप आगम की प्रतिमूर्ति है। आज के समय मे चतुर्थ कालीन परम्परा का कुशलता पूर्वक निर्वहन कर रहे है। इस अतिशय क्षेत्र में साधु की समाधि होने से यह क्षेत्र अब निर्वाण भूमि बन गया है।